डिग्री MBA और इंजीनियरिंग की, काम ठगी का, राजस्थान में 1000 करोड़ के साइबर फ्रॉड का खुलासा

डिग्री MBA और इंजीनियरिंग की, काम ठगी का, राजस्थान में 1000 करोड़ के साइबर फ्रॉड का खुलासा

राजस्थान के भरतपुर में 400 करोड़ रुपये से अधिक के साइबर फ्रॉड का भंडाफोड़ हुआ है. इसमें IIT स्नातक शशिकांत सिंह मुख्य आरोपी है, जो फरार है. पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें MBA और इंजीनियर भी शामिल हैं.

राजस्थान की भरतपुर में देश का अब तक का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड रैकेट का खुलासा हुआ है, इस रैकेट की जड़ें दिल्ली, बेंगलुरु, प्रयागराज और बलिया तक फैली हैं. वहीं रैकेट मास्टरमाइंड प्रयागराज का रहने वाला IIT स्नातक शशिकांत सिंह है. पुलिस आरोपी शशिकांत सिंह की तलाश में जुटी है. पुलिस के मुताबिक, आरोपी फरार है, जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

भरतपुर रेंज के पुलिस ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया है. भरतपुर पुलिस महानिरीक्षक राहुल प्रकाश ने कहा कि इस रैकेट ने अब तक फर्जी गेमिंग ऐप्स और इन्वेस्टमेंट कंपनियों के जरिए 400 करोड़ से अधिक की ठगी की है, जो जांच में बढ़कर 1000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है. इस रैकेट के सरगना समेत सभी सदस्य पढ़े लिखे हैं. पुलिस ने गिरोह के सदस्य आरोपी रविंद्र सिंह, दिनेश सिंह और दिनेश की पत्नी कुमकुम को गिरफ्तार किया है. सभी पढ़े-लिखे, MBA और इंजीनियर हैं.

मास्टरमाइंड की तलाश में जुटी पुलिस

मास्टरमाइंड शशिकांत ने गिरोह के सदस्यों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाई और उन्हें मासिक वेतन देकर डायरेक्टर बनाया. शशिकांत ने सभी को गेमिंग और शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट के नाम पर फंसाया गया. वहीं धौलपुर निवासी हरिसिंह द्वारा जब साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करवाई गई तो इस रैकेट का खुलासा हुआ. पीड़ित हरिसिंह ने बताया कि ठगों ने मेरी 35 लाख की रकम चार कंपनियों के खातों में ट्रांसफर की गई थी.

चार अकाउंट से मिले 400 करोड़

वहीं जब खातों की जांच की गई तो पुलिस को पता चला कि इन खातों में पिछले 4 महीने में 400 करोड़ से ज्यादा का लेन-देन किया गया. जांच के बाद पुलिस ने रुकनेक इंटरप्राइजेज सहित चार कंपनियों के खिलाफ एक्शन लेते हुए सभी के बैंक अकाउंट्स फ्रीज कर दिए हैं, चारों कंपनियों के बैंक अकाउंट्स से 4 करोड़ रुपए की राशि पुलिस ने जब्त की है. वहीं पुलिस जांच में एक और चौंकाने वाले मामले का खुलासा हुआ है. पुलिस के मुताबिक, जिस फिनो पेमेंट बैंक के जरिए यह ठगी हो रही थी, उसके खिलाफ पहले से ही 1930 पोर्टल पर 4000 से ज्यादा मामले दर्ज थे.