Weather Update: जून में आग नहीं बरसेगा पानी! IMD का अनुमान- इस बार मानसून में औसत से 108% अधिक होगी बारिश

Weather Update: जून में आग नहीं बरसेगा पानी! IMD का अनुमान- इस बार मानसून में औसत से 108% अधिक होगी बारिश

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को कहा कि भारत में जून में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जो दीर्घकालिक औसत का 108 प्रतिशत होगी. इस बार मानसून कोर जोन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के इलाके शामिल हैं.

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भारत में जून में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान जताया है, जो दीर्घावधि औसत का 108 प्रतिशत होगी. यह साल 2025 के मानसून की शुरुआत का संकेत है, जो 16 वर्षों में सबसे पहले है. IMD के अनुसार, जून में सामान्य से अधिक वर्षा होगी, जो दीर्घावधि औसत का 108 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. 2024 में भारत में 934.8 मिमी वर्षा हुई थी, 2023 में 820 मिमी वर्षा हुई थी, जो औसत से 94.4% अधिक थी.

IMD ने कहा कि पूरे मानसून के दौरान देश में 87 सेमी की दीर्घकालिक औसत बारिश का 106 प्रतिशत बारिश हो सकती है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि इस मौसम में मानसून कोर जोन में सामान्य से अधिक (लंबी अवधि के औसत का 106 प्रतिशत से अधिक) बारिश होने की संभावना है.

मानसून कोर जोन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के इलाके शामिल हैं. इस क्षेत्र में ज्यादातर बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है और यह कृषि के लिए काफी हद तक इस पर निर्भर करता है. उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश होने की संभावना है, जबकि पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है.

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IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मध्य और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बीते सोमवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपनी सामान्य तारीख से 16 दिन पहले मुंबई पहुंच गया है. 1950 के बाद से पहली बार इसका इतनी जल्दी आगमन हुआ है. मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दी, जो 2009 के बाद से भारत की मुख्य भूमि पर इतनी जल्दी इसका पहली बार आगमन है. उस साल यह 23 मई को इस राज्य में पहुंचा था.

दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी से एक्टिव!

दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर एक जून तक केरल में प्रवेश करता है. 11 जून तक मुंबई पहुंचता है और आठ जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है. यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से लौट जाता है.

दक्षिण पश्चिम मानसून के भारत के लिए इतना खास होने की पहली वजह तो ये है कि जून से सितंबर तक की ये मानसूनी बारिश देश में सालाना बारिश का 70% है. यानी देश की पानी की जरूरतें सबसे ज्यादा इसी बारिश के भरोसे पूरी होती हैं. भारत में खेती की 60% जमीन सिंचाई के लिए मानसून के ही भरोसे है. धान, मक्का, बाजरा, रागी और अरहर जैसी खरीफ की फसलें दक्षिण पश्चिम मानसून के भरोसे ही रहती हैं.

मौसम विभाग ने आगामी कुछ दिनों में केरल, कर्नाटक, तटीय महाराष्ट्र और गोवा के कुछ इलाकों में बहुत से बहुत भारी बारिश होने की संभावना जताई है. साथ ही केरल, मुंबई शहर सहित कोंकण, मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों, कर्नाटक के तटीय और घाट क्षेत्रों में आज अत्यंत भारी बारिश की संभावना है.

मुंबई में बारिश ने मचाई तबाही

बता दें कि समय से पहले आए मानसून ने केरल और महाराष्ट्र में भारी तबाही मचाई हुई है. मुंबई में तो झमाझम बारिश हो रही है. बारिश के चलते लोगों का जनजवीन अस्त-व्यस्त हो गया है. जगह-जगह पानी भरा हुआ है. सड़क, नाली, नाले सब बह रहे हैं. वहीं मेट्रो और रेलवे स्टेशनों का अंदर भी पानी घुस गया है.