मेजबान बिहार ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में रचा इतिहास, मणिपुर का दबदबा बरकरार

मेजबान बिहार ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में रचा इतिहास, मणिपुर का दबदबा बरकरार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार थांग-टा, मल्लखंब, गतका, कलरिपयट्टु और योगासन जैसे पारंपरिक स्वदेशी खेलों को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए प्रयासरत है और अगर ऐसा हुआ तो इन खेलों को ओलंपिक में जगह बनाने का प्रयास किया जाएगा.

मणिपुर की पारंपरिक मार्शल आर्ट थांग-टा, जो खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (KIYG) में शामिल पांच स्वदेशी खेलों में से एक है, बुधवार को गया के बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट (BIPARD) में समाप्त हुआ. मेजबान बिहार ने इतिहास रचते हुए पहली बार दो स्वर्ण पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया, जबकि मणिपुर ने सबसे ज़्यादा तीन स्वर्ण पदकों के साथ अपना दबदबा बनाए रखा.
बिहार की ओर से प्रिय प्रेरणा और माहिका कुमारी ने स्वर्ण पदक जीतकर राज्य को गौरवान्वित किया. कुल आठ स्वर्ण पदकों में से मणिपुर ने तीन, बिहार और असम ने दो-दो, जबकि मध्य प्रदेश ने एक स्वर्ण पदक जीता.

थांग-टा का सफर और हुइद्रोम प्रेमकुमार की भूमिका

70 वर्षीय हुइद्रोम प्रेमकुमार, जो थांग-टा के पुनरुत्थान के मुख्य स्तंभ रहे हैं, ने खेल की यात्रा पर प्रकाश डाला. वह कहते हैं, 1891 में ब्रिटिश सरकार ने इस खेल को प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि यह उनके लिए चुनौती बन रहा था. 1930 में एक स्थानीय राजा के प्रयासों से इसे पुनर्जीवित किया गया और फिर मेरे गुरु राजकुमार सनाहान ने इसकी बागडोर संभाली.
1988 में सनाहान के निधन के बाद, प्रेमकुमार ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया. उन्होंने इसे भारत के कोने-कोने में और विदेशों (दक्षिण कोरिया, ईरान) तक पहुँचाया. 2021 में जब इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल किया गया, तब इस खेल को नई पहचान मिली.
प्रेमकुमार ने कहा, मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी थांग-टा को समर्पित कर दी है. हम जहाँ हैं, उस पर गर्व है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है. स्थानीय मार्शल आर्ट्स को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. दूसरों का अपमान नहीं, लेकिन अपनी परंपरा को ज़्यादा समर्थन मिलना चाहिए.

प्रतियोगिता और प्रतिभागिता

थांग-टा में दो वर्ग शामिल थे: फुनबा अमा (Phunaba Ama): पारंपरिक संस्करण जिसमें तलवार (चैबी) और ढाल (चुंगोई) का उपयोग होता है.फुनबा अनीशुबा (Phunaba Anishuba): प्रेमकुमार द्वारा विकसित संस्करण, जिसमें ढाल नहीं होती, लेकिन किकिंग की अनुमति होती है.
25 राज्यों के 128 खिलाड़ियों ने चार भार वर्गों (-52kg, -56kg लड़कियाँ; -56kg, -60kg लड़के) में भाग लिया. 12 से 14 मई तक चले इस तीन दिवसीय आयोजन में प्री-क्वार्टरफाइनल से लेकर फाइनल तक रोमांचक मुकाबले हुए.

बिहार के कोच की भूमिका

बिहार के कोच सारंगथेम टीकेन सिंह, जो मूल रूप से मणिपुर से हैं, ने बिहार की सफलता में अहम भूमिका निभाई.कोच सिंह ने कहा, बिहार के बच्चे बहुत प्रतिभाशाली हैं. हमने राजगीर में दो महीने का कैंप किया था. उन्होंने बड़ी मेहनत की और बहुत तेज़ी से सीखा.

थांग-टा के परिणाम-

फुनबा अनीशुबा (बालक, -56kg):
•स्वर्ण: थोकचोम श्रीनिवास सिंह (मणिपुर)
•रजत: सत्यं डांगी (मध्य प्रदेश)
•कांस्य: राहुल यादव (राजस्थान), मनीष राय (नागालैंड)
फुनबा अनीशुबा (बालक, -60kg):
•स्वर्ण: कोंजेंगबम परेहानबा सिंह (मणिपुर)
•रजत: गर्व (दिल्ली)
•कांस्य: हरमन सैनी (पंजाब), भुमिक राज (बिहार)
फुनबा अमा (बालक, -56kg):
•स्वर्ण: प्रणय दास (असम)
•रजत: वैभव शरद माली (महाराष्ट्र)
•कांस्य: युमनाम मलेमंगनबा मैतेई (मणिपुर), जस्टिन वेनर (नागालैंड)
फुनबा अमा (बालक, -60kg):
•स्वर्ण: राजदीप दास (असम)
•रजत: लक्ष्य (हरियाणा)
•कांस्य: लकी कुमार (बिहार), थोइबा युमनाम (मणिपुर)
फुनबा अनीशुबा (बालिका, -52kg):
•स्वर्ण: थांजम लेम्बिसाना देवी (मणिपुर)
•रजत: थ. रेनूका देवी (असम)
•कांस्य: तानिया डे (त्रिपुरा), सुवाक्षी सरगम (बिहार)
फुनबा अनीशुबा (बालिका, -56kg):
•स्वर्ण: माहिका कुमारी (बिहार)
•रजत: मेमोला देवी (असम)
•कांस्य: आलिया अक्तर (छत्तीसगढ़), प्रियांशी (हिमाचल प्रदेश)
फुनबा अमा (बालिका, -52kg):
•स्वर्ण: प्रिया प्रेर्णा (बिहार)
•रजत: इरोम अनामिका देवी (मणिपुर)
•कांस्य: किरण साहू (छत्तीसगढ़), अपेक्षा बसवराज (महाराष्ट्र)
फुनबा अमा (बालिका, -56kg):
•स्वर्ण: अंजली रावत (मध्य प्रदेश)
•रजत: लौरेंबम डैना देवी (मणिपुर)
•कांस्य: लवली बर्मन (पश्चिम बंगाल), तनिष्का रमेश कुंभार (महाराष्ट्र)