बॉक्सिंग चुनाव पर रोक का विरोध, अनुराग ठाकुर की याचिका पर HC ने केंद्र-BFI को भेजा नोटिस

हिमाचल प्रदेश मुक्केबाजी संघ (एचपीबीए) और अनुराग ठाकुर ने अपनी याचिका में तत्कालीन बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह के सात मार्च के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें निर्वाचन मंडल के लिए नामांकन केवल राज्य संघों के निर्वाचित सदस्यों तक ही सीमित कर दिया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश मुक्केबाजी संघ और पूर्व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की याचिका पर केंद्र और बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) से महासंघ के चुनावों से संबंधित विवाद पर जवाब मांगा है. याचिका पर नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और अजय सिंह से जवाब मांगा है. अजय सिंह चुनावों के शुरू होने के समय बीएफआई के प्रमुख थे.
न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि मामले को 18 अगस्त को सूचीबद्ध किया जाए जब दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ की इसी तरह की याचिका पर सुनवाई होनी है. वर्तमान याचिका पर सुनवाई तब हुई जब 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बीएफआई चुनावों से संबंधित सभी याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में भेज दिया.
सात मार्च के आदेश को चुनौती
हिमाचल प्रदेश मुक्केबाजी संघ (एचपीबीए) और अनुराग ठाकुर ने अपनी याचिका में तत्कालीन बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह के सात मार्च के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें निर्वाचन मंडल के लिए नामांकन केवल राज्य संघों के निर्वाचित सदस्यों तक ही सीमित कर दिया गया था. बीएफआई के चुनाव पहले 28 मार्च को होने थे लेकिन इन्हें स्थगित कर दिया गया.
अनुराग ठाकुर का नामांकन खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस स्थगन आदेश को संज्ञान में लिया, जिसमें बीएफआई की चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई गई थी और मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं को एक साथ जोड़ने का निर्णय लिया ताकि परस्पर विरोधी आदेशों से बचा जा सके. सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि अनुराग ठाकुर का नामांकन बीएफआई के पूर्व अध्यक्ष अजय सिंह के निर्देश पर बिना सुनवाई के मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया था.
बीएफआई के 7 मार्च के निर्देश पर रोक
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 मार्च को दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ की याचिका पर बीएफआई के 7 मार्च के निर्देश पर रोक लगा दी थी. इस निर्देश में कहा गया था कि केवल बीएफआई की मान्यता प्राप्त इकाइयों के विधिवत निर्वाचित सदस्य ही 28 मार्च को गुरुग्राम में होने वाले चुनावों में अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. यह मामला खेल प्रशासन और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है.