750 किडनियां निकालीं… गेस्ट हाउस में ही चीरता था इंसान का शरीर, झोलाछाप अमित की क्रूरता की कहानी, क्या है ‘डॉक्टर डेथ’ से कनेक्शन?

750 किडनियां निकालीं… गेस्ट हाउस में ही चीरता था इंसान का शरीर, झोलाछाप अमित की क्रूरता की कहानी, क्या है ‘डॉक्टर डेथ’ से कनेक्शन?

डॉक्टर डेथ के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी के साथ गुरुग्राम किडनी कांड एक बार फिर चर्चा में आ गया है. इसी के साथ इस रैकेट का सरगना डॉ. अमित कुमार भी चर्चा में आ गया. डॉ. अमित ने 7 साल तक यह धंधा चलाया और 750 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए थे.

डॉक्टर डेथ के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी के बाद गुरुग्राम किडनी कांड और डॉ. अमित कुमार भी चर्चा में आ गया है. डॉ. अमित कुमार इस किडनी रैकेट का सरगना था और डॉ. देवेंद्र इस रैकेट का एक हिस्सा. पुलिस सूत्रों के मुताबिक डॉ. अमित क्रूरता के मामले में देवेंद्र से भी आगे था. वह खुद अपने हाथों किडनी निकालता और अमेरिका, इंगलैंड, कनाडा, सऊदी अरब और ग्रीस आदि देशों से आए ग्राहकों के शरीर में ट्रांसप्लांट कर देता था. जबकि उसके पास ना तो इस तरह की सर्जरी की कोई योग्यता थी और ना ही कोई अनुभव.

केस डायरी को पढ़ने के बाद गुरुग्राम की अदालत ने भी उसे झोला छाप कहा था. इस प्रसंग में उसी झोला छाप डॉ. अमित की कहानी बता रहे हैं. यह कहानी साल 2007-8 की सर्दियों में सामने आई थी. उस समय गुरुग्राम पुलिस को मुरादाबाद के रहने वाले एक व्यक्ति ने शिकायत दी कि उसकी किडनी अवैध रूप से निकाल ली गई है. इस शिकायत पर गुरुग्राम पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू की. इस मुकदमे की खबर फैलते ही किडनी रैकेट का सरगना डॉ. अमित और उसका भाई जीवन कुमार अपना ऑपरेशन थिएटर बंद कर फरार हो गए.

नेपाल में हुई अमित की गिरफ्तारी

हालांकि गुरुग्राम पुलिस ने उसे 7 फरवरी 2008 को नेपाल से अरेस्ट कर लिया. इसके बाद पुलिस ने डॉ. अमित की निशानदेही पर हरियाणा के साथ यूपी और दिल्ली में छापेमारी करते हुए पांच अन्य डॉक्टरों को अरेस्ट किया. पकड़े सभी डॉक्टर आयुर्वेदिक की पढ़ाई किए थे और इन्हें सर्जरी का ना तो कोई ज्ञान था और ना ही कोई अनुभव. इसी क्रम में पुलिस ने फरीदबाद स्थित उस गेस्ट हाउस को भी सील कर दिया, जिसे अस्पताल का रूप दिया गया था.

7 साल से चल रहा था धंधा

पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस रैकेट का संचालन डॉ. अमित और डॉ. उपेंद्र मिलकर करते थे. जबकि डॉ. देवेंद्र समेत अन्य लोग इसमें सहयोगी की भूमिका में थे. इन सभी डॉक्टरों ने सात साल तक धड़ल्ले से इस रैकेट का संचालन किया. ये लोग बिहार, बंगाल, यूपी और दिल्ली से शिकार तलाशते. ये लोग अपने शिकार को नौकरी दिलाने या सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के बहाने बुलाते थे और धोखे से किडनी निकाल लेते थे. फिर पीड़ित को 25 से 30 हजार रुपये देकर उनके मुंह बंद करने की कोशिश करते थे.

विदेशी ग्राहकों को लगाते थे किडनी

पुलिस के मुताबिक डॉ. अमित किडनी निकलने के लिए भले ही देशी डोनर तलाशता था, लेकिन उसने हरेक किडनी अपने विदेशी ग्राहकों को लगाई. इसके लिए वह हरेक ग्राहक से 40 से 50 लाख रुपये वसूल करता था. इस प्रकार उसने सात वर्षों में 750 से अधिक विदेशी ग्राहकों के शरीर में किडनी ट्रांसप्लांट किए थे. यह बात उसने खुद सीबीआई की पूछताछ में कबूल की थी. उसने बताया कि हरेक केस में सारे खर्चे काट कर उसे 30 से 35 लाख रुपये का फायदा होता था.

कितना क्रूर था डॉ. अमित?

इस दौरान इन लोगों ने किडनी निकालने के बाद कई लोगों के पेट सिलने में भी लापरवाही बरती थी. इससे कुछ लोगों की मौत होने की भी जानकारी सामने आई थी. पुलिस की जांच में पता चला कि डॉ. अमित ने गुरुग्राम और फरीदाबाद ही नहीं बल्कि ग्रेटर नोएडा और मेरठ में 2 अस्पतालों के अलावा 10 से अधिक लैब खोल रखी थी. इस मामले में बाद में सीबीआई ने जांच की और सीबीआई की ही चार्जशीट पर गुरुग्राम की अदालत ने इन्हें दोषी ठहराते हुए साल 2013 में सात साल के कठोर कारावास की सजा दी.