न आतंकी पकड़े गए- न लौटे पर्यटक… पहलगाम हमले के बाद एक महीने में क्या एक्शन हुए?

पहलगाम आतंकी हमले के आज 22 मई को एक महीने पूरे हो गए. इन एक महीने में काफी कुछ घट भी गया. आतंकी अभी भी छिपे हुए हैं तो पर्यटकों ने कश्मीर घाटी से मुंह मोड़ लिया है, ऐसे में असर वहां के स्थानीय पर्यटन पर पड़ने लगा है. कैब ड्राइवर और टट्टू चालक फ्री बैठे हैं. होटल खाली हैं, कर्मचारियों को घर भेज दिया गया है.
आज से करीब एक महीने पहले 22 अप्रैल की दोपहर 2 बजे तक जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में खून रौनक थी. दुनियाभर से लोग धरती के इस जन्नत को करीब से निहारने के लिए अपनी-अपनी छुट्टियों और तारीखों का इंतजार कर रहे थे. जो वहां थे वो अपने परिवार के साथ मस्ती कर रहे थे. लेकिन मनहूस 22 अप्रैल की दोपहर आतंकवादियों ने घाटी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक पहलगाम पर हमला कर 26 लोगों का जान ले ली. मारे गए लोगों में से ज्यादातर पर्यटक थे.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के आज गुरुवार को एक महीने हो गए, तब से लेकर अब तक इस पर काफी कुछ घट गया. भारत ने आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई करते हुए पहले पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंध खत्म कर लिए. कई तरह की पाबंदियां भी लगा दी.
भारत की ओर से ऐतिहासिक सिंधु नदी समझौता को स्थगित कर दिया गया क्योंकि पीएम मोदी का कहना है कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता. साथ पाक वीजा को खत्म कर दिया और सभी पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का आदेश दे दिया. इसके बाद 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर कर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया. इसके बाद दोनों देशों में सैन्य संघर्ष छिड़ गया. करीब 3 के सैन्य संघर्ष के बाद भारत-पाक में सीजफायर हो गया.
ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर रहे सुरक्षाबल
जिस पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पिछले एक महीने में भारत ने हर मोर्चे से पाकिस्तान को नुकसान ही नुकसान पहुंचाया है. वहां पर हालात अभी तक सुधरे नहीं हैं. एक तो हमले के गुनहगार अभी तक गिरफ्त में नहीं आ सके हैं. जांच एजेंसियों ने पहले उनके स्कैच जारी किए फिर डिटेल और इनामी राशि घोषित तक कर दिए, लेकिन आतंकवादियों को लेकर अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं हाथ लगी है. गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष सरकार पर सवाल भी कर रही है.
आतंकी हमले के बाद भारत ने घाटी में कई सर्च ऑपरेशन भी चलाए. कई आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया. कई आतंकी जो इस वारदात में शामिल थे उनके घरों को तबाह कर दिया गया. भारत के सुरक्षा बल लगातार आतंकवादियों की तलाश में हैं. आए दिन वहां पर एनकाउंटर किए जा रहे हैं. आज 22 मई को किश्तवाड़ में एनकाउंटर चल रहा है और इसमें भी 2 आतंकी मारे गए हैं. इससे पहले पुलवामा, शोपियां, कुपवाड़ा समेत कई जगहों पर एनकाउंटर कर आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया. अब तक चले कई एनकाउंटर में आधा दर्जन से अधिक आतंकी मारे गए हैं.
पाकिस्तान पर भारत का कड़ा प्रहार
वहीं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के बारे में दुनिया को बताने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेज रही है. यहां पर पाकिस्तान के बारे में बताया जाएगा.
दक्षिण कश्मीर की बेहद खूबसूरत लिद्दर घाटी में बसा यह रिसॉर्ट शहर अपने मनमोहक दृश्यों, बर्फ से ढके पहाड़ों, खिलते बगीचों और हिमालय के ग्लेशियरों तथा अल्पाइन झीलों से बहने वाली लिद्दर नदी की कल-कल देश भर से पर्यटकों को लगातार आकर्षित करता रहा है. लेकिन एक आतंकवादी घटना के बाद अब इस हिल स्टेशन पर एक भयावह सन्नाटा पसरा हुए है. यहां से पोशवान पार्क, लैवेंडर पार्क, लिडर व्यू पार्क और क्लब पार्क कभी बच्चों के शोर और पर्यटकों की हंसी से गुलजार रहता था, अब बंद और खामोश हैं.
पर्यटकों की राह देखते कश्मीरी
वेबसाइट ग्रेटर कश्मीर की खबर के अनुसार, पहलगाम के बैसरन ग्राउंड में जिप-लाइन एडवेंचर कराने वाले जाहिद अहमद बताते हैं, “यहां अब सब कुछ ठहर गया है. आतंकी हमले से पहले हम रोजाना पर्यटकों को 50 से 60 राइड दिया करते थे, और हर पर्यटक से 300 रुपये कमाते थे, इस तरह से करीब 15,000 रुपये रोजाना कमाई थी.”
उन्होंने आगे कहा, “इंस्ट्रकटर, और हेल्पर्स समेत कम से कम 10 लोग जिप-लाइन एक्टिविटि के जरिए अपनी आजीविका कमाते थे. लेकिन अब, सब कुछ थम सा गया है. बैसरन और आस-पास के इलाकों में जोरबिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और इसी तरह की अन्य रोमांच से भरी एक्टिविटि भी बंद हो गई हैं, जिससे स्थानीय आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है.
राफ्टिंग भी शुरू नहीं हो सकी
उनका कहना है कि कहा कि इस साल राफ्टिंग भी शुरू नहीं हो सकी है. कुछ हफ्ते पहले, स्थानीय बिजनेस यानी होटल और रेस्तरां से लेकर स्ट्रीट वेंडर, टूरिस्ट गाइड, फोटोग्राफर, कैब ड्राइवर और टट्टू सवार सभी पर्यटकों की आवभगत में लगे हुए थे. हालांकि अब वहां पर कई दुकानें खुल चुकी हैं, और थोड़े बहुत ही ग्राहक आते हैं.
इसी तरह मुख्य बाजार में हस्तशिल्प बेचने वाले एम अहमद ने बताया कि एक महीने पहले, यहां पर पर्यटकों की भारी भीड़ हुआ करती थी. तब मेरे पास 2 सेल्समैन थे, लेकिन अब दोनों घर पर हैं, और मुझे मुश्किल से कोई ग्राहक मिल पाता है.
हर जगह रेस्तरां खाली, घर भेजे गए कर्मचारी
पैराडाइज इन रेस्तरां के मैनेजर सब्जार अहमद ने कहा कि तब सुबह से देर रात तक रेस्तरां भरा रहता था. लेकिन हमारे वेटरों सहित अधिकांश कर्मचारी घर लौट गए हैं, क्योंकि अब कोई ग्राहक ही नहीं आ रहा है.
इसी तरह टैक्सी ड्राइवर्स की भी समस्या है. कैब ड्राइवर भी पर्यटकों के नहीं आने से उदास हैं. एक स्थानीय टैक्सी ड्राइवर निसार अहमद ने कहा, “मैं पर्यटकों को लाने-ले जाने से रोजाना कम से कम 2000 रुपये कमा लेता था, लेकिन आज मैं बिल्कुल भी नहीं कमा पाता.”
टैक्सी ड्राइवर ही नहीं टट्टू चलाने वालों की मुसीबत
टट्टू चलाने वालों की आजीविका पर भी असर पड़ा है. पर्यटन में अचानक रुकावट से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. टट्टू चलाने वाले इस्माइल बताते हैं, मैं कम से कम 1500 रुपये रोजाना कमा लेता था, जिसमें से 1000 रुपये मैं टट्टू के मालिक को देता था और 500 रुपये अपने पास रखता था. लेकिन अब मैं कुछ भी नहीं कमा पाता.
पहलगाम में टट्टू संचालक संघ के अध्यक्ष अब्दुल वाहिद वानी ने कहा कि इस क्षेत्र में करीब 5000 टट्टू हैं. 7000 से अधिक परिवार पर्यटकों को टट्टू की सवारी कराकर गुजारा करते थे, लेकिन अब वे सभी बेकार बैठे हुए हैं.
जो बुकिंग थी वो रद्द हो रही, नई नहीं हो रही
होटल उद्योग को गहरा झटका लगा है. वहां के एक होटल ब्राउन पैलेस के मालिक इब्राहिम रैना ने कहा कि होटल पूरी तरह से बुक थे, और आज वे खाली हैं. पर्यटकों के न आने की वजह से हमें अपने लगभग सभी कर्मचारियों को घर भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा. हमारे पास रिसेप्शनिस्ट, रूम सर्विस कर्मचारी, वेटर और रसोइये समेत 67 कर्मचारी थे. अभी सिर्फ 2 ही बचे हैं. जबकि शेष को छुट्टी दे दी गई है. रैना ने कहा कि होटल में अगस्त तक की बुकिंग हो चुकी थी, लेकिन अब बुकिंग रद्द होने लगी है और कोई नई बुकिंग भी नहीं हो रही है.
पहलगाम और उसके आस-पास के इलाकों में 800 से ज्यादा होटल, गेस्टहाउस और हट्स हैं, जिनमें 7000 से ज्यादा लोग काम करते हैं. उनके मुताबिक, पर्यटकों की कमी की वजह से ज्यादातर होटल मालिकों को अपना काम कम करना पड़ा है और अपने कर्मचारियों को निकालना पड़ रहा है.